तुम ही थकते जाओगे
तुम ही थकते जाओगे
कितना उसे तुम, आवाज देकर बुलाओगे
न आएगा वो कभी, तुम ही थकते जाओगे
अब सुन नहीं सकता, हो गया पूरा बहरा
निष्ठुरता का लगाया, खुद पर उसने पहरा
क्या उसके पीछे तुम, यूं ही वक्त गंवाओगे
न आएगा वो कभी, तुम ही थकते जाओगे
अर्थहीन हुए निवेदन, इनका न कोई मोल
भविष्य के बारे में, कुछ अपने मन से बोल
क्या रोने धोने में ही, जीवन को बिताओगे
न आएगा वो कभी, तुम ही थकते जाओगे
भ्रम को पाले बैठे हो, गए हो मन से हार
होता नहीं जाने क्यों, सत्य तुम्हें स्वीकार
यादों में ही बंधे रहे, तो मुक्ति कैसे पाओगे
न आएगा वो कभी, तुम ही थकते जाओगे
आगे भी चलना है, बीती बातें भुलाते चलो
भव्य होगा जीवन, लक्ष्य पथ सजाते चलो
नयनों से आखिर, आंसू कब तक बहाओगे
न आएगा वो कभी, तुम ही थकते जाओगे
रुकने वाले जीते नहीं, मृत ही वो कहलाते
निष्क्रिय होकर वो, खुद पर ही बोझ चढ़ाते
अपनी खुशियों की, खुद की अर्थी उठाओगे
न आएगा वो कभी, तुम ही थकते जाओगे
ॐ शांति
मुकेश कुमार मोदी, बीकानेर
मोबाइल नम्बर 9460641092
Milind salve
25-Sep-2023 03:14 PM
Nice one
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Varsha_Upadhyay
24-Sep-2023 04:56 PM
Nice 👌
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Shashank मणि Yadava 'सनम'
24-Sep-2023 08:59 AM
बहुत ही सुंदर और बेहतरीन अभिव्यक्ति
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